Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -08-Oct-2022 - रास्ते



इश्क के इज़हार का गुनाह कर गए,
राहें मंजिल को तेरी पनाह कर गए।

झूम कर निकली जो पगली पवन,
रास्तों को हम वहीं फनाह कर गए।

बोलियां जो लगी थी भरे बाजार में,
रिश्तो की महक से तनहा कर गए।

कीमत नहीं समझी तुमने कभी भी,
मोहब्बत फिर भी हम बेपनाह कर गए।

गुनाहों को न माफ कर पाएगी शिखा,
मुस्कुराकर तुम खुद को बेगुनाह कर गए।


#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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6 Comments

Pratikhya Priyadarshini

10-Oct-2022 08:07 PM

बहुत सुन्दर प्रस्तुति 👌👍💐🌸

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Reena yadav

09-Oct-2022 04:25 PM

👍👍

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Raziya bano

09-Oct-2022 11:23 AM

Bahut khub

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